भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत देते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 1 अप्रैल 2025 से लागू हुए इन नियमों के अनुसार, अब बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (NBFC) EMI भुगतान में देरी होने पर दंडात्मक ब्याज (Penal Interest) नहीं वसूल सकेंगे। इससे पहले, बैंक देरी पर न केवल लेट फीस लगाते थे, बल्कि उस पर अतिरिक्त ब्याज भी वसूलते थे, जिससे कर्जदारों पर डबल बोझ पड़ता था।
इस लेख में हम RBI के नए नियमों की पूरी जानकारी, इसके पीछे की वजह, ग्राहकों को होने वाले फायदे और शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
पहले क्या नियम थे और अब क्या बदला?
पुरानी प्रणाली: दोहरा दंड
पहले, यदि कोई ग्राहक समय पर EMI नहीं चुका पाता था, तो बैंक निम्नलिखित शुल्क लगाते थे:
- लेट पेमेंट फीस (Late Payment Fee) – एक निश्चित राशि या EMI का प्रतिशत।
- दंडात्मक ब्याज (Penal Interest) – इस लेट फीस पर अतिरिक्त ब्याज लगाया जाता था।
इसका मतलब यह था कि ग्राहक को दोहरा दंड भुगतना पड़ता था, जिससे उसका कर्ज और बढ़ जाता था।
नई प्रणाली: सिर्फ एक बार जुर्माना
RBI के नए नियमों के अनुसार:
✅ बैंक केवल एक बार दंडात्मक शुल्क (Penal Charges) लगा सकेंगे।
❌ इस शुल्क पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लगेगा।
❌ दंडात्मक शुल्क को मूल ऋण राशि में नहीं जोड़ा जाएगा।
इससे ग्राहकों को अनुचित बोझ से छुटकारा मिलेगा।
नए नियम क्यों लाए गए?
RBI ने यह कदम निम्नलिखित कारणों से उठाया:
1. बैंकों द्वारा दंडात्मक ब्याज का दुरुपयोग
कई बैंक और NBFC देरी पर अत्यधिक दंडात्मक ब्याज वसूलते थे, जिसे वे अतिरिक्त आय का स्रोत बना लेते थे।
2. ग्राहकों को स्पष्ट जानकारी न देना
बैंक अक्सर ग्राहकों को यह नहीं बताते थे कि देरी पर कितना जुर्माना लगेगा और उस पर ब्याज कैसे लगाया जाएगा।
3. उचित ऋण प्रथाओं (Fair Lending Practices) का उल्लंघन
RBI का मानना था कि यह प्रणाली ग्राहक-विरोधी थी और इससे ऋण लेने वालों पर अनावश्यक वित्तीय दबाव पड़ता था।
RBI के नए नियमों की मुख्य बातें
- दंडात्मक ब्याज पर प्रतिबंध
- बैंक केवल एक निश्चित दंड शुल्क लगा सकेंगे, उस पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं।
- पारदर्शिता जरूरी
- बैंकों को लोन एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से बताना होगा कि देरी पर कितना जुर्माना लगेगा।
- सभी खुदरा ऋणों पर लागू
- यह नियम होम लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन, एजुकेशन लोन आदि पर लागू होगा।
- दंड का पूंजीकरण नहीं होगा
- बैंक दंड राशि को मूल ऋण में नहीं जोड़ सकेंगे, जिससे EMI न बढ़े।
- कुछ ऋणों पर लागू नहीं
- यह नियम क्रेडिट कार्ड, बिजनेस लोन और वाणिज्यिक ऋणों पर लागू नहीं होगा।
ग्राहकों को क्या फायदा होगा?
✅ कम वित्तीय बोझ – अब केवल एक बार जुर्माना देना होगा, ब्याज नहीं।
✅ स्पष्ट नियम – बैंक मनमाने ढंग से अतिरिक्त शुल्क नहीं लगा सकेंगे।
✅ भुगतान में आसानी – देरी होने पर भी EMI का बोझ नहीं बढ़ेगा।
✅ ग्राहक संरक्षण – RBI की निगरानी में बैंकिंग प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी।
क्या करें अगर बैंक नियम तोड़े?
यदि कोई बैंक या NBFC RBI के नए नियमों का पालन नहीं करता है और दंडात्मक ब्याज वसूलता है, तो आप निम्न कार्रवाई कर सकते हैं:
- बैंक में शिकायत दर्ज करें
- संबंधित बैंक शाखा में लिखित शिकायत दें।
- बैंकिंग लोकपाल से संपर्क करें
- यदि बैंक शिकायत का निवारण नहीं करता, तो बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) से संपर्क करें।
- RBI की वेबसाइट पर शिकायत करें
- RBI की ऑनलाइन शिकायत प्रणाली (CMS) का उपयोग करें।
निष्कर्ष: ग्राहक हित में बड़ा बदलाव
RBI का यह निर्णय कर्जदारों के लिए एक बड़ी राहत है। अब बैंक दंडात्मक ब्याज के नाम पर मनमानी नहीं कर पाएंगे, जिससे ग्राहकों को निष्पक्ष और पारदर्शी ऋण प्रणाली का लाभ मिलेगा। यह कदम भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करेगा और ग्राहकों का विश्वास बढ़ाएगा।
अगर आप भी किसी लोन पर EMI भर रहे हैं, तो इन नए नियमों के बारे में जागरूक रहें और किसी भी अनुचित शुल्क के खिलाफ आवाज उठाएं।
यह लेख 1 अप्रैल 2025 से लागू RBI के नए नियमों पर आधारित है। कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने बैंक से संपर्क करें।