सड़क सुरक्षा को लेकर यूपी सरकार का ऐतिहासिक फैसला उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर एक सख्त और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब राज्य में कोई भी व्यक्ति यदि नकली या गैर-मानक (नॉन-बीआईएस) हेलमेट पहनते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे सिर्फ चालान ही नहीं, बल्कि एफआईआर (FIR) का भी सामना करना पड़ सकता है। यह कदम राज्य में बढ़ते सड़क हादसों और मौतों की रोकथाम के लिए उठाया गया है।
चिंताजनक आंकड़े जिन्होंने बदलाव को मजबूर किया
पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में लगभग 46,000 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 24,000 से अधिक लोगों की जान चली गई। इनमें से अधिकांश मौतें दोपहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की थीं। विशेषज्ञों के अनुसार, इनमें से कई मौतें नकली या खराब गुणवत्ता वाले हेलमेट पहनने के कारण हुईं। यह देखते हुए यूपी सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) प्रमाणित हेलमेट को अनिवार्य करने का फैसला किया है।
क्यों जरूरी है BIS प्रमाणित हेलमेट?
नकली हेलमेट: “खामोश हत्यारे”
राजीव कपूर, जो भारत के टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (2WHMA) के अध्यक्ष और स्टीलबर्ड हेलमेट्स के एमडी हैं, ने नकली हेलमेट को “खामोश हत्यारे” बताया है। उनके अनुसार, ये हेलमेट दिखने में तो असली लगते हैं, लेकिन दुर्घटना के समय ये टूटकर यात्री की जान ले लेते हैं।
BIS मानक क्या है?
- BIS (भारतीय मानक ब्यूरो) द्वारा प्रमाणित हेलमेट IS 4151:2015 मानकों पर खरे उतरते हैं।
- इन हेलमेट्स को क्रैश टेस्ट, फायर रेजिस्टेंस टेस्ट और शॉक अब्जॉर्बेशन टेस्ट से गुजरना पड़ता है।
- नकली हेलमेट में पॉलीस्टायरीन या लो-ग्रेड प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है, जो टक्कर के समय टूट जाता है।
यूपी सरकार के नए नियम क्या हैं?
- नकली हेलमेट पहनने पर FIR
- अब यदि कोई व्यक्ति नॉन-बीआईएस हेलमेट पहनते हुए पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है।
- यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 (आदेश की अवहेलना) के तहत दर्ज होगी।
- जुर्माना और वाहन जब्ती
- पहली बार पकड़े जाने पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
- बार-बार उल्लंघन करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना और वाहन जब्ती की जा सकती है।
- नकली हेलमेट बेचने वालों पर कार्रवाई
- दुकानदारों को BIS प्रमाणित हेलमेट ही बेचने होंगे, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
2WHMA ने क्यों किया इस फैसले का समर्थन?
भारत के टू-व्हीलर हेलमेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (2WHMA) ने इस फैसले का पूरा समर्थन किया है। राजीव कपूर ने इसे “एक ऐतिहासिक निर्णय” बताया और कहा कि यह कदम नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
उनके मुख्य बिंदु:
- नकली हेलमेट बाजार पर प्रहार – अब नकली हेलमेट बनाने वालों को कड़ी सजा मिलेगी।
- जन जागरूकता जरूरी – लोगों को सही हेलमेट खरीदने के लिए शिक्षित करना होगा।
- अन्य राज्यों से अपील – सभी राज्यों को यूपी की तरह सख्त कदम उठाने चाहिए।
कैसे पहचानें असली हेलमेट?
लक्षण | BIS प्रमाणित हेलमेट | नकली हेलमेट |
---|---|---|
BIS मार्क | हाँ (IS 4151:2015) | नहीं या फर्जी |
वजन | 1.2-1.5 किलोग्राम | हल्का (800 ग्राम से कम) |
सामग्री | हाई-ग्रेड प्लास्टिक | पतला प्लास्टिक/फोम |
क्रैश टेस्ट | पास | फेल |
अन्य राज्यों को क्या करना चाहिए?
2WHMA ने सभी राज्य सरकारों से अपील की है कि वे उत्तर प्रदेश के मॉडल को अपनाएं। राजीव कपूर ने कहा, “सड़क सुरक्षा सिर्फ एक राज्य की नहीं, बल्कि पूरे देश की जिम्मेदारी है।”
सुझाव:
- BIS मानकों को अनिवार्य बनाया जाए।
- नकली हेलमेट बेचने वालों पर भारी जुर्माना लगे।
- जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
निष्कर्ष: एक नए युग की शुरुआत
उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला न केवल यूपी बल्कि पूरे भारत में सड़क सुरक्षा के मानकों को बदल सकता है। यदि अन्य राज्य भी इसी तरह के कदम उठाते हैं, तो हर साल हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
यह लेख जनहित में प्रकाशित किया गया है। अगर आप दोपहिया वाहन चलाते हैं, तो हमेशा BIS प्रमाणित हेलमेट पहनें और दूसरों को भी जागरूक करें।