भारत-यूके डील का बड़ा फायदा! अब इन चीजों पर लगेगा सिर्फ 10% टैक्स!

भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को नई गति मिलने की उम्मीद है। यह समझौता तीन साल से अधिक समय तक चली गहन वार्ताओं का परिणाम है और इससे 2040 तक द्विपक्षीय व्यापार में £25.5 बिलियन की वृद्धि होने का अनुमान है। यह समझौता भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यूके ने भारतीय निर्यात पर 99% सामानों से शुल्क हटाने का फैसला किया है, जबकि भारत ने यूके के निर्यात पर 90% सामानों पर शुल्क कम करने का वादा किया है।

इस लेख में हम इस समझौते के विभिन्न पहलुओं, इसके प्रभाव, लाभ और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते की मुख्य विशेषताएं

1. शुल्क में कमी और व्यापार बढ़ोतरी

  • भारतीय निर्यात के लिए लाभ: यूके ने भारत से आयात होने वाले 99% सामानों पर शुल्क हटा दिया है। इसका सीधा लाभ भारतीय वस्त्र, समुद्री भोजन, चमड़ा उत्पाद और ऑटो कंपोनेंट्स जैसे क्षेत्रों को मिलेगा।
  • यूके के निर्यात के लिए राहत: भारत ने यूके के 90% निर्यात पर शुल्क कम करने का फैसला किया है। इसमें स्कॉच व्हिस्की पर 150% से घटाकर 40% और ब्रिटिश कारों पर 100% से घटाकर 10% शुल्क लगाने का प्रावधान है।

2. ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा फायदा

  • लक्जरी कारों की कीमतों में गिरावट: जगुआर लैंड रोवर, बेंटले, रोल्स-रॉयस और एस्टन मार्टिन जैसी ब्रिटिश कारों की कीमतों में भारी कमी आएगी, जिससे भारतीय बाजार में इनकी बिक्री बढ़ने की संभावना है।
  • मोटरसाइकिल निर्माताओं को लाभ: टीवीएस के स्वामित्व वाली नॉर्टन और बजाज ऑटो द्वारा संचालित ट्रायम्फ जैसी कंपनियों को भी इस समझौते से फायदा होगा।
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3. व्यापार और व्यवसाय में आसानी

  • पेशेवरों की आवाजाही सुगम: इस समझौते के तहत व्यापारियों और पेशेवरों की यात्रा प्रक्रिया आसान की गई है, हालांकि आव्रजन नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

4. अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान

  • स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क में कमी: 10 साल की अवधि में 150% से घटाकर 40% किया जाएगा।
  • द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत जारी: अभी यह पूरी तरह से अंतिम रूप नहीं दी गई है।

समझौते का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

1. निर्यात को बढ़ावा

  • भारतीय वस्त्र और हस्तशिल्प उद्योग को यूके के बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा।
  • समुद्री उत्पादों और चमड़ा उद्योग को नए बाजार मिलेंगे।

2. ऑटोमोबाइल सेक्टर में बदलाव

  • ब्रिटिश कारों की कीमतें कम होने से भारतीय उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
  • हालांकि, घरेलू ऑटोमोबाइल निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

3. स्कॉच व्हिस्की और डेयरी उत्पादों पर असर

  • स्कॉच व्हिस्की सस्ती होगी, जिससे भारतीय बाजार में इसकी मांग बढ़ सकती है।
  • डेयरी उत्पादों को इस समझौते से सुरक्षा मिली है, क्योंकि भारत ने इसे शुल्क मुक्त सूची से बाहर रखा है।

यूके के लिए इस समझौते का महत्व

  • ब्रिटेन के लिए सबसे बड़ा एफटीए: यूरोपीय संघ से बाहर आने के बाद यह ब्रिटेन का सबसे बड़ा व्यापार समझौता है।
  • भारतीय बाजार तक पहुंच: ब्रिटिश कंपनियों को भारत के विशाल बाजार में आसानी से प्रवेश मिलेगा।

समझौते की चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

  1. किसानों और डेयरी उद्योग की चिंताएँ: भारतीय किसानों को डर है कि ब्रिटिश डेयरी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा होगी, हालांकि सरकार ने इस पर राहत दी है।
  2. ऑटो सेक्टर में घरेलू कंपनियों पर दबाव: महिंद्रा, टाटा जैसी कंपनियों को ब्रिटिश ब्रांड्स से मुकाबला करना पड़ सकता है।
  3. श्रम मानकों और पर्यावरण नियमों पर सवाल: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यूके के सख्त नियम भारतीय उद्योगों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकते हैं।
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निष्कर्ष

भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इससे व्यापार में वृद्धि, निवेश के नए अवसर और आर्थिक सहयोग को बल मिलेगा। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चुनौतियाँ भी हैं, जिनका समाधान करना आवश्यक होगा। यह समझौता भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं को भी मजबूती प्रदान करेगा।

इस प्रकार, यह एफटीए न केवल आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी नई दिशा देगा।

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