24 अप्रैल 2024 को भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय लेते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित कर दिया। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी। इस कदम के तहत, भारत ने चिनाब नदी का पानी पाकिस्तान की ओर जाने से रोक दिया है, जिसका सीधा प्रभाव पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में देखा जा रहा है।
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा और जल संप्रभुता की दृष्टि से लिया गया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत से पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाए।” यह निर्णय न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करता है बल्कि पाकिस्तान को यह संदेश भी देता है कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश के साथ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी।
सिंधु जल संधि: इतिहास और महत्व
संधि की पृष्ठभूमि
सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हस्ताक्षरित हुई थी। यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे से संबंधित है, जिसमें छह प्रमुख नदियाँ शामिल हैं:
- पूर्वी नदियाँ – सतलुज, ब्यास, रावी (भारत के पूर्ण उपयोग के लिए)
- पश्चिमी नदियाँ – सिंधु, झेलम, चिनाब (पाकिस्तान के लिए, लेकिन भारत को सीमित उपयोग का अधिकार)
इस संधि के अनुसार, भारत पश्चिमी नदियों का पानी रोक नहीं सकता, लेकिन सिंचाई, जलविद्युत और अन्य गैर-भंडारण उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग कर सकता है।
संधि के विवादास्पद पहलू
पिछले कुछ दशकों में, पाकिस्तान ने भारत द्वारा चिनाब और झेलम नदियों पर बनाई जा रही जलविद्युत परियोजनाओं (जैसे किशनगंगा और बगलिहार) पर लगातार आपत्ति जताई है। हालाँकि, अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरणों ने भारत के पक्ष में फैसला दिया है कि ये परियोजनाएँ संधि के नियमों के अनुरूप हैं।
भारत ने क्यों निलंबित की सिंधु जल संधि?
1. पहलगाम आतंकी हमला: तत्काल कारण
21 मार्च 2024 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 पर्यटक मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली। भारत सरकार ने इसे पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का सीधा उदाहरण माना और जवाबी कार्रवाई के तौर पर सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया।
2. पाकिस्तान का लगातार आतंकवाद को समर्थन
पिछले कई दशकों से पाकिस्तान, भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर (Proxy War) लड़ रहा है। आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन को पाकिस्तानी सेना और ISI द्वारा सीधा समर्थन दिया जाता है। भारत ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी अपनी भूमिका स्वीकार नहीं की।
3. भारत की जल संप्रभुता का प्रश्न
सिंधु जल संधि के तहत, भारत को पश्चिमी नदियों का केवल सीमित उपयोग करने का अधिकार है, जबकि पाकिस्तान को इन नदियों का अधिकांश पानी मिलता है। भारत ने अब यह स्पष्ट किया है कि वह अपने जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग करेगा, खासकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास के लिए।
भारत के निर्णय का प्रभाव
1. पाकिस्तान पर प्रभाव
- कृषि संकट: पाकिस्तान का पंजाब प्रांत चिनाब नदी के पानी पर निर्भर है। पानी की कमी से यहाँ की फसलें प्रभावित होंगी।
- पेयजल संकट: पाकिस्तान पहले से ही जल संकट से जूझ रहा है। चिनाब के पानी के बिना स्थिति और बिगड़ेगी।
- आर्थिक नुकसान: पाकिस्तान की जलविद्युत परियोजनाएँ प्रभावित होंगी, जिससे बिजली उत्पादन घटेगा।
2. भारत को लाभ
- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास: अब चिनाब और झेलम का पानी स्थानीय सिंचाई, पेयजल और बिजली परियोजनाओं में उपयोग किया जाएगा।
- पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश: भारत ने दिखा दिया है कि आतंकवाद के समर्थन की कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ेगी।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
पाकिस्तान का विरोध
पाकिस्तान ने भारत के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- विश्व बैंक: संधि की मध्यस्थता करने वाले विश्व बैंक ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
- अमेरिका और यूरोप: अभी तक पश्चिमी देशों ने इस मामले में संयम बरता है, लेकिन भारत के कदम को उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है।
भविष्य की रणनीति: भारत क्या करेगा?
- जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग: भारत अब चिनाब और झेलम नदियों पर अधिक जलविद्युत परियोजनाएँ बनाएगा।
- पाकिस्तान को आतंकवाद बंद करने के लिए मजबूर करना: जल संकट पाकिस्तान को आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए विवश कर सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना: भारत, पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने के सबूत विश्व समुदाय के सामने रखेगा।
निष्कर्ष
भारत का सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम है। यह न केवल भारत की जल संप्रभुता को मजबूत करता है बल्कि पाकिस्तान को यह संदेश भी देता है कि आतंकवाद का समर्थन करने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अब भारत के पास अपने जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग करने और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के विकास को गति देने का सुनहरा अवसर है।
“जल है तो कल है” – भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह अपने संसाधनों का उपयोग राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए करेगा।