देशभर में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए लेन-देन करने वाले उपयोगकर्ताओं को शनिवार (13 अप्रैल) को एक बार फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। यूपीआई सिस्टम में तकनीकी खराबी के कारण कई लोगों के लेन-देन फेल हो गए। यह पिछले 15 दिनों में तीसरी बार है जब यूपीआई सर्विस में गड़बड़ी देखी गई है। इससे पहले 26 मार्च और 2 अप्रैल को भी यूपीआई सिस्टम डाउन हुआ था, जिससे लाखों उपयोगकर्ताओं को परेशानी हुई थी।
यूपीआई में गड़बड़ी की शुरुआत
आउटेज ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म Downdetector के अनुसार, शनिवार को सुबह 11:30 बजे के बाद से यूपीआई सेवा में दिक्कतें शुरू हुईं। उपयोगकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर शिकायत की कि वे पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं और उनके लेन-देन फेल हो रहे हैं। कुछ लोगों ने बताया कि उनके खाते से पैसे कट गए, लेकिन रिसीवर को पेमेंट नहीं मिला।
एनपीसीआई ने दी जानकारी
यूपीआई सिस्टम को मैनेज करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इस समस्या को स्वीकार करते हुए एक बयान जारी किया। एनपीसीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करके बताया कि सर्वर में “इंटरमिटेंट टेक्निकल इश्यू” (रुक-रुक कर तकनीकी समस्या) के कारण कुछ यूपीआई लेन-देन फेल हो रहे हैं।
एनपीसीआई का बयान:
“NPCI is currently facing intermittent technical issues, leading to partial UPI transaction declines. We are working to resolve the issue and will keep you updated. We regret the inconvenience caused.”
*(एनपीसीआई को फिलहाल तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण कुछ यूपीआई लेन-देन फेल हो रहे हैं। हम इस समस्या को हल करने के लिए काम कर रहे हैं और आपको अपडेट करते रहेंगे। हम इस असुविधा के लिए खेद व्यक्त करते हैं।”)
यूपीआई क्या है और यह कैसे काम करता है?
यूपीआई (UPI) भारत में डिजिटल पेमेंट का सबसे लोकप्रिय तरीका बन चुका है। इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा नियंत्रित एक संस्था है। यूपीआई इंटरबैंक मनी ट्रांसफर सिस्टम (IMPS) के ढांचे पर बना है, जिससे यह सेकंडों में एक बैंक खाते से दूसरे बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देता है।
यूपीआई की मुख्य विशेषताएं:
- तुरंत पैसा ट्रांसफर – कुछ ही सेकंड में लेन-देन पूरा हो जाता है।
- कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं – यूपीआई पर कोई ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगती।
- 24×7 उपलब्धता – किसी भी समय पेमेंट किया जा सकता है।
- छोटे-बड़े सभी पेमेंट – कोई न्यूनतम या अधिकतम सीमा नहीं।
- ऑटोपे सुविधा – बिल पेमेंट और सब्सक्रिप्शन के लिए रिकरिंग पेमेंट सेट किया जा सकता है।
यूपीआई आउटेज का उपयोगकर्ताओं पर प्रभाव
जब यूपीआई सिस्टम डाउन होता है, तो इसका सीधा असर देश के करोड़ों लोगों पर पड़ता है। आजकल यूपीआई का उपयोग न केवल ऑनलाइन शॉपिंग में बल्कि स्थानीय दुकानों, ऑटो रिक्शा, सब्जी विक्रेताओं और यहां तक कि भीख मांगने वालों तक में होने लगा है। इसलिए, जब सिस्टम फेल होता है, तो लोगों को नकदी की कमी महसूस होती है।
किन-किन एप्स पर समस्या आई?
- Google Pay
- PhonePe
- Paytm
- BHIM UPI
- Amazon Pay
कई उपयोगकर्ताओं ने शिकायत की कि वे “यूपीआई सर्वर नहीं मिल रहा”, “ट्रांजैक्शन फेल हो गया” या “पैसे कट गए लेकिन पेमेंट नहीं हुआ” जैसी समस्याओं का सामना कर रहे थे।
पिछली बार कब हुई थी यूपीआई में गड़बड़ी?
यह कोई पहली बार नहीं है जब यूपीआई सर्वर डाउन हुआ है। पिछले कुछ महीनों में कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं:
- 26 मार्च 2024 – यूपीआई सर्वर कुछ घंटों के लिए डाउन रहा।
- 2 अप्रैल 2024 – फिर से तकनीकी खराबी के कारण लेन-देन प्रभावित हुए।
- 13 अप्रैल 2024 (आज) – तीसरी बार सिस्टम फेल।
इससे सवाल उठता है कि क्या भारत का डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत नहीं है कि वह बढ़ते यूजर्स के लोड को हैंडल कर सके?
यूपीआई का बढ़ता इस्तेमाल और चुनौतियां
मार्च 2024 में यूपीआई के जरिए ₹24.77 लाख करोड़ के लेन-देन हुए, जो फरवरी 2024 (₹21.96 लाख करोड़) की तुलना में 12.7% की वृद्धि दर्शाता है। हर महीने यूपीआई ट्रांजैक्शन नए रिकॉर्ड बना रहा है, लेकिन साथ ही सर्वर क्रैश की समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
समस्याओं के कारण:
- सर्वर ओवरलोड – ज्यादा ट्रैफिक के कारण सिस्टम हैंडल नहीं कर पाता।
- साइबर अटैक – हैकर्स द्वारा DDoS अटैक की आशंका।
- टेक्निकल ग्लिच – सॉफ्टवेयर या नेटवर्क में खामी।
- मेन्टेनेंस वर्क – कभी-कभी अपग्रेड के दौरान समस्या आती है।
उपयोगकर्ताओं के लिए सुझाव
अगर यूपीआई सिस्टम डाउन है, तो आप निम्न तरीके अपना सकते हैं:
- कुछ मिनट बाद कोशिश करें – कई बार समस्या कुछ देर में ठीक हो जाती है।
- अलग यूपीआई ऐप आजमाएं – अगर Google Pay काम नहीं कर रहा, तो PhonePe या Paytm चेक करें।
- नेट बैंकिंग या डेबिट/क्रेडिट कार्ड का उपयोग करें – ऑनलाइन पेमेंट के वैकल्पिक तरीके आजमाएं।
- कैश रखें – डिजिटल पेमेंट पर पूरी तरह निर्भर न रहें, हमेशा कुछ नकदी साथ रखें।
निष्कर्ष
यूपीआई भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है, लेकिन बार-बार होने वाले आउटेज से उपयोगकर्ताओं का भरोसा डगमगा रहा है। एनपीसीआई और आरबीआई को इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सर्वर क्षमता बढ़ाने और बैकअप सिस्टम मजबूत करने की जरूरत है। जब तक यूपीआई पूरी तरह स्थिर नहीं हो जाता, तब तक उपयोगकर्ताओं को वैकल्पिक पेमेंट तरीकों का सहारा लेना चाहिए।
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